कारगिल विजय दिवस 26.07.2021
कारगिल विजय दिवस पर रण-बांकुरों को नमन
जो भरा नहीं है भावों से,
बहती जिसमें रस-धार नहीं।
वह हृदय नहीं है पत्थर है,
जिसमें स्वदेश का प्यार नहीं॥
गया प्रसाद शुक्ल ‘सनेही’ जी द्वारा रचित ये पंक्तियां हमें स्मरण करवाती हैं कि देशभक्ति, देश के प्रति प्यार और सम्मान की भावना है। देशभक्त अपने देश के प्रति निःस्वार्थ प्रेम तथा उस पर गर्व करने के लिए जाने जाते हैं। देशभक्ति की भावना लोगों को एक-दूसरे के करीब लाती है। किसी भी व्यक्ति का देश के प्रति अमूल्य और निःस्वार्थ प्रेम और भक्ति, देशभक्ति की भावना को परिभाषित करती है। जो लोग सच्चे देशभक्त होते हैं, वे अपने देश के प्रति अपने प्राणों को न्योछावर करने से पीछे नहीं हटते।
देश की आज़ादी के बाद अनेक ऐसे अवसर आए जब भारतीय सेना ने अपने अदम्य साहस,पराक्रम और शौर्य का परिचय देते हुए दुश्मन के दाँत खट्टे किए हैं । ऐसा एक अवसर आया 1999 में, जब भारत और पाकिस्तान की सेनाओं के बीच लगभग 60 दिनों तक संघर्ष हुआ और 26 जुलाई के दिन उसका अंत हुआ और इसमें भारत को विजय प्राप्त हुई। इसी लिए भारत में प्रत्येक वर्ष 26 जुलाई को कारगिल विजय दिवस मनाया जाता है। कारगिल विजय दिवस स्वतंत्र भारत के सभी देशवासियों के लिए एक बहुत ही महत्वपूर्ण दिवस है। इस दिन कारगिल विजय दिवस युद्ध में शहीद हुए भारतीय जवानों के सम्मान और उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करने हेतु यह दिवस मनाया जाता है।
यूँ तो 1971 के भारत-पाक युद्ध के बाद भी कई सैन्य संघर्ष होते रहे हैं। इतिहास के मुताबित दोनों देशों द्वारा परमाणु परीक्षण के कारण तनाव और बढ़ गया था। स्थिति को शांत करने के लिए दोनों देशों ने फरवरी 1999 में लाहौर में घोषणा पत्र पर हस्ताक्षर किए,जिसमें कश्मीर मुद्दे को द्विपक्षीय वार्ता द्वारा शांतिपूर्ण ढंग से हल करने का वादा किया गया था। लेकिन पाकिस्तान अपने सैनिकों और अर्ध-सैनिक बलों को छिपाकर नियंत्रण रेखा के पार भेजने लगा और इस घुसपैठ का नाम "ऑपरेशन बद्र" रखा था। इसका मुख्य उद्देश्य कश्मीर और लद्दाख के बीच की कड़ी को तोड़ना और भारतीय सेना को सियाचिन ग्लेशियर से हटाना था। पाकिस्तान यह भी मानता रहा है कि इस क्षेत्र में किसी भी प्रकार के तनाव से कश्मीर मुद्दे को अंतर्राष्ट्रीय मुद्दा बनाने में मदद मिलेगी।
प्रारंभ में भारत ने घुसपैठ मान लिया था और दावा किया गया कि घुसपैठियों को कुछ ही दिनों में बाहर कर दिया जाएगा। लेकिन नियंत्रण रेखा में खोज के बाद और इन घुसपैठियों के नियोजित रणनीति में अंतर का पता चलने के बाद भारतीय सेना को अहसास हो गया कि हमले की योजना बहुत बड़े पैमाने पर बनाई गई है। इसके बाद भारत सरकार ने ‘ऑपरेशन विजय’ नाम से 2,00,000 सैनिकों को भेजा। यह युद्ध आधिकारिक रूप से 26 जुलाई 1999 को समाप्त हुआ।
स्वतंत्रता का अपना ही मूल्य होता है, जो वीरों के रक्त से चुकाया जाता है. कारगिल युद्ध में हमारे लगभग 500 से ज़्यादा वीर योद्धा शहीद हुए और 1300 से ज्यादा घायल हो गए। इनमें से ज़्यादातर 30 वर्ष से कम आयु के नौजवान थे । इन शहीदों ने भारतीय सेना की शौर्य व बलिदान की उस सर्वोच्च परंपरा का निर्वहन किया, जिसकी सौगंध हर सिपाही तिरंगे के समक्ष लेता है।
आज का दिन है, उन शहीदों को याद कर अपने श्रद्धा-सुमन अर्पण करने का, जो हंसते-हंसते मातृभूमि की रक्षा करते हुए वीरगति को प्राप्त हुए। यह दिन उन महान और वीर सैनिकों को समर्पित है, जिन्होंने हमारे भविष्य को सुरक्षित और सुखद बनाने के लिए अपना सर्वस्व बलिदान कर दिया। श्रीमती सुभद्रा कुमारी चौहान के शब्दों में-
वीरों का कैसा हो वसंत?
आ रही हिमाचल से पुकार,
है उदधि गरजता बार-बार,
प्राची, पश्चिम, भू, नभ अपार,
सब पूछ रहे हैं दिग्-दिगंत,
वीरों का कैसा हो वसंत?
जय हिंद! जय भारत!
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