गणतंत्र दिवस 2021
गणतंत्र दिवस 2021
सादर नमस्कार, 72वें गणतंत्र दिवस
की अनंत शुभकामनाएं...
सब से विराट
जनतंत्र जगत का आ पहुंचा,
तैंतीस कोटि-हित
सिंहासन तय करो
अभिषेक आज राजा का
नहीं, प्रजा का है,
तैंतीस कोटि जनता
के सिर पर मुकुट धरो।
आरती लिये तू किसे
ढूंढता है मूरख,
मन्दिरों, राजप्रासादों में, तहखानों में?
देवता कहीं सड़कों पर
गिट्टी तोड़ रहे,
देवता मिलेंगे
खेतों में, खलिहानों में।
जी हाँ सबसे विराट जनतंत्र....
आ... 72वें.... के महोत्सव
में आपका हार्दिक अभिनंदन
गणतन्त्र दिवस
(गणतंत्र दिवस) भारत का एक राष्ट्रीय पर्व है जो प्रति वर्ष 26 जनवरी को मनाया
जाता है। इसी दिन सन् 1950 को भारत सरकार अधिनियम (एक्ट) (1935) को हटाकर भारत का
संविधान लागू किया गया था। एक स्वतन्त्र गणराज्य बनने और देश में कानून का राज
स्थापित करने के लिए संविधान को 26 नवम्बर 1949 को भारतीय संविधान सभा द्वारा
अपनाया गया और 26 जनवरी 1950 को इसे एक लोकतान्त्रिक सरकार प्रणाली के साथ लागू
किया गया था। 26 जनवरी को इसलिए चुना गया था क्योंकि 1930 में इसी दिन भारतीय
राष्ट्रीय कांग्रेस (आई० एन० सी०) ने भारत को पूर्ण स्वराज घोषित किया था। यह भारत
के तीन राष्ट्रीय अवकाशों में से एक है, अन्य दो स्वतन्त्रता
दिवस और गांधी जयंती हैं।[2]
भारत के स्वतंत्र
हो जाने के बाद संविधान सभा की घोषणा हुई और इसने अपना कार्य 9 दिसम्बर 1947 से
आरंभ कर दिया। संविधान सभा के सदस्य भारत के राज्यों की सभाओं के निर्वाचित
सदस्यों के द्वारा चुने गए थे। डॉ० भीमराव अम्बेडकर, जवाहरलाल नेहरू, डॉ राजेन्द्र प्रसाद, सरदार वल्लभ भाई पटेल,
मौलाना अबुल कलाम
आजाद आदि इस सभा के प्रमुख सदस्य थे। संविधान निर्माण में कुल 22 समितीयाँ थी
जिसमें प्रारूप समिति (ड्राफ्टींग कमेटी) सबसे प्रमुख एवं महत्त्वपूर्ण समिति थी
और इस समिति का कार्य संपूर्ण ‘संविधान लिखना’ या ‘निर्माण करना’ था। प्रारूप
समिति के अध्यक्ष विधिवेत्ता डॉ० भीमराव आंबेडकर थे। प्रारूप समिति ने और उसमें
विशेष रूप से डॉ. आंबेडकर जी ने 2 वर्ष, 11 माह, 18 दिन में भारतीय संविधान का निर्माण किया और संविधान सभा के अध्यक्ष डॉ.
राजेन्द्र प्रसाद को 26 नवम्बर 1949 को भारत का संविधान सुपूर्द किया, इसलिए 26 नवंबर दिवस को भारत में संविधान दिवस के रूप में प्रति वर्ष
मनाया जाता है। अनेक सुधारों और बदलावों के बाद सभा के 308 सदस्यों ने 24 जनवरी
1950 को संविधान की दो हस्तलिखित कॉपियों पर हस्ताक्षर किये। इसके दो दिन बाद संविधान
26 जनवरी को यह देश भर में लागू हो गया। 26 जनवरी का महत्व बनाए रखने के लिए इसी
दिन संविधान निर्मात्री सभा (कांस्टीट्यूएंट असेंबली) द्वारा स्वीकृत संविधान में
भारत के गणतंत्र स्वरूप को मान्यता प्रदान की गई।
हमारे राष्ट्रीय त्योहारों
को, सभी देशवासी राष्ट्र-प्रेम की भावना के साथ मनाते
हैं. गणतन्त्र दिवस का राष्ट्रीय पर्व भी, हम पूरे उत्साह के साथ मनाते हुए अपने राष्ट्रीय प्रतीकों और संविधान के
प्रति सम्मान व आस्था व्यक्त करते हैं. संविधान की उद्देशिका में रेखांकित
न्याय, स्वतंत्रता, समता और बंधुता के जीवन-मूल्य हम सबके लिए पुनीत आदर्श हैं.
2020 का वर्ष विश्वभर
में महामारी के प्रकोप को लेकर आया ।हमारे सभी किसान, जवान और वैज्ञानिक विशेष बधाई के पात्र हैं और कृतज्ञ राष्ट्र गणतन्त्र
दिवस के शुभ अवसर पर इन सभी का अभिनंदन करता है. विपरीत प्राकृतिक परिस्थितियों, अनेक चुनौतियों और कोविड की आपदा के बावजूद हमारे किसान भाई-बहनों ने
कृषि उत्पादन में कोई कमी नहीं आने दी. यह कृतज्ञ देश हमारे अन्नदाता किसानों के
कल्याण के लिए पूर्णतया प्रतिबद्ध है. हमारी थल सेना, वायु सेना और नौसेना, हमारी सुरक्षा के विरुद्ध किसी भी
दुस्साहस को विफल करने के लिए पूरी तैयारी के साथ तैनात हैं. भारत प्रत्येक
परिस्थिति में, अपने राष्ट्रीय हितों की रक्षा करने में
पूरी तरह सक्षम है.
सियाचिन व गलवान
घाटी में, माइनस 50 से 60 डिग्री तापमान में, सब कुछ जमा देने वाली सर्दी से लेकर, जैसलमेर में, 50 डिग्री सेन्टीग्रेड से ऊपर के तापमान
में, झुलसा देने वाली गर्मी में, धरती, आकाश और विशाल तटीय क्षेत्रों में हमारे
सेनानी भारत की सुरक्षा का दायित्व हर पल निभाते हैं. हमारे सैनिकों की बहादुरी, देशप्रेम और बलिदान पर हम सभी देशवासियों को गर्व है.स्वास्थ्य कर्मियों ने
दिन-रात एक करके कोविड 19 का सामना किया, हमारे वैज्ञानिकों ने दो वैक्सीन तैयार करके
बहुत कम समय में ही वैक्सीन को विकसित करके, हमारे वैज्ञानिकों ने पूरी मानवता के कल्याण के लिए एक नया इतिहास रचा
है. अब विशाल पैमाने पर टीकाकरण का जो अभियान चल रहा है, वह इतिहास में अपनी तरह का सबसे बड़ा प्रकल्प होगा.
आपदा को अवसर में
बदलते हुए प्रधानमंत्री ने ‘आत्म-निर्भर भारत अभियान’ का आह्वान किया. हमारा जीवंत
लोकतंत्र, हमारे कर्मठ व प्रतिभावान देशवासी, विशेषकर हमारी युवा आबादी आत्म-निर्भर भारत के निर्माण के हमारे प्रयासों
को ऊर्जा प्रदान कर रहे हैं. इस अभियान के तहत माइक्रो, स्मॉल और मीडियम एंटरप्राइजेज को बढ़ावा देकर व स्टार्ट-अप इको सिस्टम को
और अधिक मजबूत बनाकर आर्थिक विकास के साथ-साथ रोजगार उत्पन्न करने के भी कदम उठाए
गए हैं. आत्म-निर्भर भारत अभियान एक जन-आंदोलन का रूप ले रहा है. आत्म-निर्भर भारत
ने, कोरोना-वायरस से बचाव के लिए अपनी खुद की वैक्सीन
भी बना ली है.
संविधान की
उद्देशिका में रेखांकित न्याय, स्वतंत्रता, समता और बंधुता के जीवन-मूल्य हम सबके लिए पुनीत आदर्श हैं. सभी सामान्य
नागरिक भी इन आदर्शों का दृढ़ता व निष्ठापूर्वक पालन करें.मातृभूमि पर न्यौछावर होने वाले
वीरों नेदेश के स्वर्णिम
भविष्य की परिकल्पनाएं अलग-अलग थीं परंतु न्याय, स्वतंत्रता, समता और बंधुता के मूल्यों ने उनके सपनों
को एक सूत्र में पिरोने का काम किया. न्याय, स्वतंत्रता, समता और बंधुता हमारे जीवन-दर्शन के शाश्वत सिद्धांत हैं. इनका अनवरत प्रवाह, हमारी सभ्यता के आरंभ से ही, हम सबके जीवन को
समृद्ध करता रहा है. हर नई पीढ़ी का यह दायित्व है कि समय के अनुरूप, इन मूल्यों की सार्थकता स्थापित करे.
जीवन में असली उड़ान अभी बाकी है,
हमारे इरादों का इम्तिहान अभी बाकि है,
अभी तो नापी है सिर्फ मुट्ठी भर जमीन,
अभी तो नापने के लिए सारा आसमान बाकी है.
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