अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस 2021
अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस 2021
अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस(21.02.2021)
“इला सरस्वती मही तिस्त्रो देवीर्मयोभुवः”
अर्थात हमें मातृभूमि तथा मातृभाषा का सम्मान करना चाहिए, क्योंकि ये हमें प्रसन्नता प्रदान करती हैं ।
जन्म लेने के बाद मानव जो प्रथम भाषा सीखता है उसे उसकी मातृभाषा कहते हैं।
मातृभाषा, किसी भी व्यक्ति की सामाजिक एवं भाषायी
पहचान होती है। मातृभाषा संस्कृति और संस्कारों की संवाहिका होती है। मातृ भाषा के
पतन से संस्कृति व संस्कारों का भी पतन होता है ।
दुनिया की कितनी भाषाएं हैं इसका ठीक ठीक उत्तर देना संभव नहीं है।
एक अनुमान के अनुसार दुनिया में कुल भाषाओं की संख्या 6809 है, इनमें से 90 फीसदी भाषाओं को बोलने वालों की
संख्या 1 लाख से भी कम है। लगभग 150-200 भाषाएं ऐसी हैं जिनको 10 लाख से अधिक लोग
बोलते हैं। भारतीय संविधान में सिर्फ 22 भाषा को मान्यता प्राप्त है। लेकिन 2011
के आंकड़ों के अनुसार 121 भाषाएँ ऐसी हैं, जिन्हें 10,000 से ज्यादा लोग समझते और बोलते
हैं ।
21 फ़रवरी 1952 में ढाका विश्वविद्यालय के विद्यार्थियों और कुछ
सामाजिक कार्यकर्ताओं ने अपनी मातृभाषा का अस्तित्व बनाए रखने के लिए एक विरोध
प्रदर्शन किया था। भाषा के इस बड़े आंदोलन में शहीद हुए लोगों की याद में 1999 में
यूनेस्को (संयुक्त राष्ट्र संघ) ने पहली बार अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस मनाने
की घोषणा की थी। कह सकते हैं कि बांग्ला भाषा बोलने वालों के मातृभाषा के लिए
प्यार की वजह से ही 21 फ़रवरी को विश्व में अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस मनाया
जाता है।"अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस" के लिए यूनेस्को द्वारा हर साल
एक थीम (विषय) निर्धारित की जाती है। इस ... इस साल 2021 में इसकी थीम रखी गई है ..."शिक्षा और समाज में समावेश के
लिए बहुभाषावाद को बढ़ावा देना।"
इस दिवस को मनाने का उद्देश्य है कि विश्व में भाषायी एवं सांस्कृतिक
विविधता और बहुभाषिता को बढ़ावा मिले और संपूर्ण विश्व मिलकर सांस्कृतिक व भाषिक
विविधताओं को पोषित करें, जिससे
विश्व में बहुभाषिकता और बहुसांस्कृतिकता संवर्धित हो। गांधीजी देश की एकता
के लिए मातृभाषा को आवश्यक मानते थे । उनके अनुसार-अगर स्वराज्य करोड़ों भूखों
मरने वालों, करोड़ों निरक्षरों, निरक्षर बहनों और पिछड़ों व अत्यंजों का हो और
इन सबके लिए होने वाला हो, तो
हिंदी, जो हमारी मातृभाषा है, ही एकमात्र राष्ट्रभाषा हो सकती है।मातृभाषा
सीखने, समझने एवं ज्ञान की प्राप्ति में सरल है। पूर्व राष्ट्रपति डॉ अब्दुल कलाम ने स्वयं के अनुभव के आधार पर कहा है कि ‘‘मैं अच्छा वैज्ञानिक इसलिए बना, क्योंकि मैंने
गणित और विज्ञान की शिक्षा मातृभाषा में प्राप्त की । विश्व कवि
रवीन्द्र नाथ ठाकुर ने कहा है:- ‘‘ यदि विज्ञान को जन-सुलभ बनाना है तो
मातृभाषा के माध्यम से विज्ञान की शिक्षा दी जानी चाहिए।
‘वर्तमान परिप्रेक्ष्य में देश में भाषा’ यह एक व्यापक चर्चा का विषय
बना हुआ है। विगत वर्षों में लगभग 150 अध्ययनों के निष्कर्ष हैं कि मातृभाषा में
ही शिक्षा होनी चाहिए, क्योंकि बालक को माता के गर्भ से ही मातृभाषा के
संस्कार प्राप्त होते हैं। नई शिक्षा नीति 2020 में भी मातृभाषा के माध्यम से
अध्ययन-अध्यापन पर विशेष बल दिया गया है क्योंकि-
1.मातृभाषा में पढ़ने वाले
बच्चे अधिक मेधावी होते हैं
2.दुनिया में मौलिकता का
ही महत्व है और मातृभाषा की अभिव्यक्ति मौलिक होती है ।
आइए, आज
अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस पर यह संकल्प लें कि हम अपनी मातृभाषा को गर्व से
अपनाएँगे और इसके संवर्धन में अपना सर्वस्व समर्पित करेंगे,तभी विजयश्री हमारे हाथों में होगी ।
मीता गुप्ता
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